जीवन एक युद्ध कविता
कविता
जीवन एक युद्ध
जीवन अगर एक युद्ध है तो,
युद्ध कर , तू युद्ध कर।
शुद्ध मन से, शुभ्र तन से,
रक्त के वह लाल रंग से
युद्ध कर, तू युद्ध कर॥
ना डर कभी, ना रूक कभी,
मान यह की , जड़ सभी ।
प्रहार कर , तू वार कर,
इस मातृभूमि पर , तू उपकार कर॥
तू है तो है यह युद्ध भी,
तू है तो, है यह शक्ति भी;
जीत होगी अगर बल हो तो,
मष्तिष्क मे अनल हो तो॥
उठ अभी तू चल अभी,
युद्ध भूमि मे, तू जल अभी।
या कुंदन बन, या फौलाद बन तू,
या जल कर यही, खाक बन तू॥
शीतल नही जो, जल मिलेगा,
युद्ध भूमि है, अनल मिलेगा ।
सोच मत तपते चला जा,
युद्ध है, लड़ते चला जा॥
जीत होगी, हाँ जीत होगी,
विश्वास रख,
अपनेअंतर मे, तू श्वास रख।
क्या सोचता है। क्यों सोचता है।
युद्ध भूमि मे, क्या खोजता है।
जीत है तो, बस जीतना है।
यही अब अंतिम कामना है॥
युद्ध कर तू युद्ध कर॥
समाप्त
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